कह दिया कल माँ ने
अधिकार से
बेटी मेरी भी है जना है उसको
कौन है जो फैसला लेगा अकेले?
कौन है जो बेहतर सोचेगा मुझसे ? अचानक लाल हो गये सब
तनी भ्रिकुतियां लिये
और स्वरों को तेज कर
देने लगे दुहाई
कि
लडकी का बढना
और पढ्ना
एक सीमा तक ही अच्छा है
जितना चाहिये था
हो गया
अब बस
अचानक एक सधा स्वर
चुप कर देता है सबको
यह कहकर कि
सीमा तय करुं उसकी
यह मेरा भी हक है
और
आसमान अपना तय करे
यह हक उसका भी
इसलिये
सीमायें हमारी हम खुद तय करेंगे
जहां तक होगा हमारा असमान
बडे अधिकार से
खडी थी आज माँ
घर की दीवारों के बरक्स
..................................................अलका
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