मैनें पूछा था माँ से
कई बार
ये प्रेम क्य होता है ? उसने भयभीत आखों से मेरी ओर देख
एक शब्द बोला
चुप!!! जब दूसरी बार उसे कुरेद्कर पूछा
क्या होता है ये प्रेम बोलो ना थरथराई हुई आवाज में
उसने कहा
खामोश!!! कुछ नही समझ पायी उसके
शब्दों के मायने
इसलिये फिर पूछ बैठी
क्या होता है प्रेम
वह पलट कर बोली
सज़ा!!! और जब चौथी बार डरते हुए
पास जाकर
दोहरा बैठी वही लाईन
के क्या होता है प्रेम
वह मेरे करीब आयी
मेरे सर को गोद में ले
बोल पडी मौत !!! प्रेम के अर्थ तलाशती मुझे
अपने जाने के बाद
उसने आज एक और अर्थ समझाया है
और हवाओं के बीच से
उसकी आवाज़ आयी है
प्रेम का अर्थ है
साहस !!!
शेष है कहीं अब भी कुछ्
............................. अलका
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