Friday, January 6, 2012

कभी देखा नहीं था

कभी देखा नहीं था
किसी बच्चे को सुबक - सुबक कर रोते हुए
ठंढ से

नहीं देखा था किसी मां को पनीली आंखों से
आपने बच्चे को सीने से भींचते हुए
ठंढ से

आज देखा है इस शहर् में एक माँ और बेटे को
आपस में सिकुडते हुए
एक दूसरे को सांसों को
गर्मी से सहरा देते हुए
और अन्दर तक घुस जाने वाली
सर्द हवाओं में
कराहते हुये

उफ!!!!
नहीं देखी थी वैसी माँ अधमरी सी
नहीं देखा था वैसा बच्चा बेजान
जैसे चुक गया हो इस देश का अनाज
सड गये हों सारे भंडार
क्या कहूँ
नहीं देखा था ऐसा देश
नहीं देखा था ऐसा कल्याण
नहीं देखा था किसी बच्चे को इस कदर
सुबकते हुए ठंढ से और
आंखों ही आंखो में मां से
गुहार करते हुए एक कतरा गर्मीके लिये

नहीं देखा था !, नहीं देखा था ! नहीं देखा था ! शर्म सार हूँ
अपने आप से
कि बन्द थी आंखे शर्मसार हूँ कि
लिख नहीं पायी शर्मसार हूँ कि
कह नहीं पायी लानत है

लानत है इस देश पर
लानत है ऐसी सरकारों पर
लानत है इस व्यवस्था पर
लानत है
...........................................अलका

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