Tuesday, December 20, 2011

वह

वह
पलता रहा बरसों उसके आंचल में
पाता रहा प्रेम
रोज तवे से उतरी गरम गरम रोटियाँ
घर की सारी सुख सुविधायेँ
बिना शर्त क्योंकि
बेटा था वह


वह
हर रोज उसकी दुनिया में घुस
बनाता रहा रिश्ता जमाता रहा धौंस
उसकी सुरक्षा और एक उम्मीद की खिडकी
बनने के दुम पर और पाता रहा
प्रेम बिना शर्त
भाई था वह

वह
रिश्तों की सबसे अहम मोड पर
बनाता रहा उम्मीद के घरौन्दे
उसके साथ
रंगता रहा हज़ारों ख्वाब हज रोज़
उसके दिल के सबसे सुरक्षित तह्खाने में जा
पाता रहा प्रेम
प्रेमी था वह

वह
सात फेरों के साथ बन्ध गया था
उम्र भर साथ निभाने के लिये
एक घर बनाने के लिये
इस बन्धन की हर सांस में
पलता रहा सात जन्म
और वह
हक से पाता रहा प्रेम
वह पति था

वह गेन्द की तरह उछल जाती
जब वह बुलाता उसे नाम से
वह फूल की तरह खिल जाती
जब वह उसे दुलार लेता
वह सिमट जाती जब वह आंख सुर्ख कर लेता
इस रिश्ते के भी हर मोड पर
वह स्नेह से सिक्त हो
पाता रहा प्रेम
वह पिता था


आज सारे रिश्ते दूर खडे
पलट कर देख रहे हैं
एक दूसरे से
पूछ रहे हैं सवाल
के
वो कौन था जो
ले गया हमसे
हमारा वक्त, स्नेह
और बहुत सी उम्मीद

कौन था जो
सहोदर कह ले गया
मेरा हक

कौन था
जो ले गया
मेरा मन उसका चैन ?

कौन था जो
जाया कह
बनाता रहा मेरी सीमायें



अब समझ गयी
वह एक पुरुष था बस पुरुष
जो अपने लिये भरता रहा
प्रेम का कटोरा
और सीखता रहा प्रेम का पाठ
आधा अधूरा

...........................अलका सिंह

9 comments:

  1. वाह ………अलका जी कटु सत्य कह दिया बहुत ही सहजता से।

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  2. बहुत भावपूर्ण रचना |

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  3. समय मिले तो मेरे भी ब्लॉग में आयें |
    मेरी कविता

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  4. alkaa di
    mahila hone ke bawajood likh rahee hun, bahut mahila pradhan rachnaa hai.... kahi kahi ektarfaa bhi lagati hai... baki kya kahu... rachnaa acchee lagi isiliye pratikriya dee hai :)
    love and care

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  5. Aabha yakinan ye ek mahila apanee baat kah rahee hai aur anubhav ke saath isliye ektarafaa to lagegee hee. aur laganee bhee chahiye. yah isliye bhee jarooree hai kyonki humne apanee baat kabhee is tarah khulkar kahee nahee. yah ek alag bahs ka mudda hai par batana jaroore hai aap jo mahsoos karate hain

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  6. hamesha ki tarah..... Hatsoff alka!!!

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  7. अलका जी, यह रचना नारी के स्वातन्त्र्य के ,उसकी अब तक की सामाजिक अवस्था और मनोदशा की एक सम्पुर्ण तटस्थ होकर निहारने वाली सबोध व निर्भीक अभिव्यक्ति है । कथ्य कि सुन्दरता के लिये बधाई ।

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  8. आपने बहुत अच्छा लिखा है. इस कृति के लिए आपको बधाई तथा ईश्वर से कामना कि आप नित नया और अच्छा लिखे.

    सादर-
    राजेंद्र राठौर,
    जिला प्रतिनिधि "पत्रिका"
    जांजगीर-चांपा (छत्तीसगढ़)
    www.jan-awaz.blogspot.com

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  9. आपने बहुत अच्छा लिखा है. इस कृति के लिए आपको बधाई तथा ईश्वर से कामना कि आप नित नया और अच्छा लिखे.

    सादर-
    राजेंद्र राठौर,
    जिला प्रतिनिधि "पत्रिका"
    जांजगीर-चांपा (छत्तीसगढ़)
    www.jan-awaz.blogspot.com

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