तुम्हारे हमारे बीच प्रेम के रेशे खोज़ - खोज़ के थक गयी हूँ
पर लोग कहते हैं बहुत है प्रेम हमारे बीच
वो कहते हैं दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
इसीलिये हमारे बीच के हर रेशे में तल्लीनता के साथ
खोज़ती हूँ वही रंग जो सबको दीख जाता है
पर मुझे उसका एक कतरा भी नहीं मिल पाता
तुम सर्दियों में लिहाफ में जीते हो और एक प्याला चाय की आस में
बैठे कभी कुछ पढते रहते हो और कभी कुछ लिखते
और मैं सर्दियों की इन कपा देने वाली ठढ में
चाय ले तुम्हारे सामने खडी रहती हूँ
क्यों ये पता नहीं
पर सबको लगता है ये प्रेम है मेरा तुम्हारे लिये
तुम अपने होने के मायनो को जानते हो और मैं विवश तुम्हारे होने के
मायनो को ही जीती हूँ
माँ ने भी यही जिया था पिता के लिये वो भी विवश ही थी
और पिता ने कभी जाना ही नहीं माँ की विवशता
मैं यही साम्य देख दंग हूँ तुममें और अपने पिता में
तुम जब कहते हो तुम्हारे हाथ की चाय अच्छी लगती है
सब मुग्ध हो मेरे प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हैं
पर कोई नही देखता रोज़ रोज़ मेरे चाय बनाने की विवशता
कोई नही देखता इन कन्धों पर घर
जिम्मेदारी की विवशता
कई बार खोज़ती हूँ तुम्हारे बोलों में एक कतरा प्यार का
पर वह भी सशर्त मिलता है
कितनी अच्छी हो – जब कुछ बना कर देती हूँ
कितनी सुन्दर हो – जब स्वस्थ होती हूँ तुम्हारा साथ सुहावना है – जब चुप रहती हूँ
पर मेरे भीतर भी एक इक्षा है दबी ही सही
कि तुम कितने अच्छे लगते जब
मुझे भी इंसान समझते
तुम कितने अच्छे लगते जब
मेरी विवशता को बांट लेते और तुम कितने
अच्छे लगते जब मेरी भी सुनते
एक दौर तक दुविधाओं में जीती
अब उस उस रास्ते चल पडी हूँ जो मेरी बात करता
हर पल स्वागत में था मेरे
उधर ही चल पडी हूँ
कई लकीरें खीची है अब तक
कितनी ही खीचनी बाकी हैं
अब खुले आकाश की हिरनी हूँ
अपने कुलांचों के साथ
............................................... अलका
बेहतरीन रचना. इसे पढ़ने के बाद लगा कि विचारों का भंडार तो मेरे पास है, पर शब्दों में पिरोने की कला रहीं गुम हो गई है.
ReplyDeleteएक स्त्री के भावो को बहुत खूबसूरती से उभारा है।
ReplyDeletebahut hi umda rachna hai...
ReplyDeletebhut hi behtarin ye rachna hai isme mahilao ke dil ki bato ko yaha par laya gaya hai
ReplyDeletemai ise 'kala (art) ya rachna' kahne se bachna chahunga. mujhe ye science lagta hai jisko nakarne ki kshamata sirf reactionaty elements mein hi hoti hai.
ReplyDeleteLAJWAB...
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