हसरतें
Friday, November 4, 2011
असुविधा: कविता समय सम्मान- २०१२ से सम्मानित कवि इब्बार रब्बी की एक पुरानी कविता
वाह!!! हँस दीजिए अपने आप पर यदि आप कवि हैं तो पर बात बहुत गंभीर है और सोचने वाली क्योंकि हम बहुत अच्छी तरह बस जड़ना जानते हैं जबकि जरूरत इससे ज्यादा की है . वाह !!!
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