Tuesday, October 11, 2011

एक खिड़की

एक अधखुली खिड़की और उलझे बालों वाली वह
दोनों हर रोज
तेज तेज साँसों के साथ
जंग करती हैं
एक फोफड के पार की दुनिया से नाता जोड़ने को
अपनी खिड़की से कई बार देखती हूँ
एक बौराई सी आँख
उसमें अम्बार सी चाह
अलबेले सपने
फटे पुराने कपडे
तकरार और एक करारा थप्पड़
आंसू और मुरझाया हुआ एक बिस्तर
अगली सुबह
फिर वही चाह
फिर वही जंग
और बौराई सी आंख

अपनी खिड़की से देखती हूँ एक और खिड़की
एक पूरा दृश्य
रगीन लिबास में लिपटे मेहदी वाले हाथ
सिन्दूर
पायल और दो जोड़े ऑंखें
निहारती हैं जो खिड़की के पार
हुलसकर ताज़ी हवा के लिए
तभी अचानक बन्द हो जाती है खिड़की
खटाक
जैसे सिटकनी चढ़ा दे गयी हो
दो पहर बाद
खुल जाती है खिड़की चुप चाप
धीरे से
ताज़ी हवा और परिंदों से
नाता जोड़ने के लिए

एक खिड़की और देखती हूँ
जो बन्द है ज़माने से
सूरज को तरस गयी सी
जहाँ से बार बार आती है
एक भयानक आवाज़
जैसे मातम मानती सी

इन सबके बीच
एक घर खुला देखती हूँ
खिड़की दरवाज़ों के साथ
जिसमे बन्द है उम्मीद
एक दस्तक
सभी खिड़कियों तक पहुँचने की
.................................................................अलका

1 comment:

  1. उम्मीद बंद खिड़कियों से निकले... स्वतंत्र विचरे!

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