लाडली होने का सुख
अकेले होने के दर्द से
बहुत कमतर होता है
लेकिन दुनिया
मेरे अकेले होने को
मेरे सुखी और सौभाग्यशाली
होने से जोडकर देखती रही है
जबकि मैं
इस अकेलेपन की व्यथा
लिये भटकती रही हूं
इधर – उधर
तीन भाइयों के बीच
मेरे मन का हर कोना
टकटकी लगाये देखता रहा है
उनके खेल, उनका बल, उनका मन
उनके आपस का एका
उनकी खुशी , खुशी की कुलांचे
उनके होने से मनो सौभाग्य का बोझ लिये मैं
चुप चाप गिनती रही हूं
अपना सुख
छिपाती रही हूं
अकेलापन
अपनी व्यथा – कथा
आंखों की नमकीन होती कोर
और एक कमजोर मन
...............................................अल्का
जीवन के यथार्थ से जुड़ा मनोविज्ञान जो अपने खारे अश्रु का आस्वादन तो करती है लेकिन मीठे होते जीवन को अतीत से झांकती एक अत्यन्त मर्मस्पर्शी कविता। एक अच्छी कविता
ReplyDeleteभावुक करती कविता
ReplyDelete