Monday, June 11, 2012

मैं नहीं भूल पाती सालों जीया जिन्दगी का वह खण्ड जहाँ हिरनी की तरह दौडती मेरी टागों को देख माँ मंत्रमुग्ध हो जाया करती थी... पट पट चलती मेरी जुबान पर पिता को गर्व होता था मेरी कलम पर कईयों को नाज़ था मेरे जवान होते बदन को माँ अपलक निहारा करती थी उसको सज़ाने के सारे संसाधन जुटाती थी कुछ सहेज़ती थी और कुछ निकालती थी ..........जैसे कहानी लिखती थी भाईयों के साथ खेली छुपम छुपायी भी नहीं भूलती छीना – झपटी , लडना झगडना भी कहाँ भूल पायी हूँ नहीं भूल जाने वाले वो पल जैसे कैद हो गये हैं यादों के बद दरवाज़ों में या फिर जबरन बन्द होने को मजबूर कर दिये गये हैं सच कहूँ तो कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन परायी हो जयेंगी वो दीवारें जिस पर मैने कई इबारतें लिखीं थीं परायी हो जयेगी वो देहरी जहाँ पैर रखते ही अपनेपन का अहसास होता था पराये हो जायेंगे वो रिश्ते जिनके खून में मैं रची बसी हूँ कभी सोचा भी नहीं था कि हक से हर रोज लडने वाला वो भाई ‘मेरे’ कहे जाने वाले इस घर के कोने में किसी और की ‘हाँ’ के इंतज़ार में खडा रहेगा बेबेस , अधिकार हीन , लाचार सा पिता जिसे रोज रोज बना के खिलाया था , आज मेरे यहाँ पानी पीने में भी संकोच से हाथ उठायेंगे रोज मेरा रोज़नामचा जानने को आतुर आज आंख नीची कर वक्त का इंतजार करेंगे ऐसे हालात देखे थे पहले भी पर तब वहाँ किरदार वहीं थे पर चेहरे अलग थे पीडा वही थी किंतु लोग अलग थे कई बार अपने घर की औरतों की आंखों की गीली कोरें देखी थीं किंतु अहसास अलग थे कई बार सुना था पर जाना नहीं था आज वही दृश्य , वही भाव और वहीं एक चेहरा बदली भूमिका में मेरे सामने खडा है सोच रही हूँ औरत के आंख के पानी को परम्परा के पानी में बन्धे लोगों ने कब देखा ? कब जाना ? कब समझा? कि हर दिन दूसरे के घर को अपना कहने और बनाने की लाचारी क्या होती है तिनका तिनका जोडने और बिना हक उसे अपना कहने की बेबेसी क्या होती है पुत्र के सहारे घर में जगह पा लेने की जिद्दोजहद क्या होती है प्यार के नाम पर हर रोज कुछ रिसने की लाचारी क्या होती है दूसरों के बल पर जीने की हकीकत क्या होती है जब भी सोचती हूँ अपनी मजबूरी के नाम एक खत लिखने का खयाल आता है माँ के नाम माफीनामा लिखने का खयाल आता है अपनी चाहरदीवारी पर अपना नाम लिखने का खयाल आता है इन बेपरवाहों के बीच परवाह की एक नयी कहानी लिखूँ अक्सर खयाल आता है .........................................अलका

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