तुमसे प्यार करते करते
भूल गयी थी कुछ कूट विचार
माँ के
जो याद आये हैं बरसों बाद आज
पीछे मुड्कर देखते हुए कि -
डांटती नहीं हूँ मैं
ना ही रोकती हूँ दुनिया देखने से
बस आगाह करना चाहती हूँ एक औरत को
जो बनाने जा रही है एक रिश्ता
घर के बाहर और उडने की कोशिश में है
एक घोसले के जिसके तिनके तिनके को वो
खोजेगी, बुनेगी और सहेजेगी
बताना चाहती हूम उस औरत को कि
ये घर से बाहर बनता हुआ एक ऐसा
रिश्ता है जो
अनुभूति के साथ हर रोज बढता है
सवंरता है , आकार लेता है और गुम हुए से लगते है
कई अर्थ
पर सच में ऐसा होता तो क्यों कुरेद कर कुरेद कर
पूछती तुमसे और बार बार सवाल करती ?
समझाती रही है वह मुझे कि
यह शीतल है जैसे चांद की रोशनी
कोमल है जैसे गुलाब की पंखुडी
मदमादा है जैसे महुए का नशा
किंतु चांद के दाग , गुलाब के कांटों और
महुए के नशे का भी एक सह है
और यही सच धीरे- घीरे
सामने आता है
यह बताने के लिये खडी हूँ तेरे आस पास
कि जब भी तू दहलीज़ के बाहर
कहीं जुडेगी तो जीयेगी कुछ वैसा ही
जिससे गुजरती रही हूँ मैं
इसलिये उतरने को बेताब हूँ तुझमें विचार बन
कि हुनर सिखा सकूँ
नये समय में स्त्री होने का
बता सकूँ कि जना है जिसको औरत ने
वह मालिक बन जाता है एक वक्त के बाद
क्योंकि औरतें खोजाती रहीं हैं अपने उस मालिक को
कभी चांद से बातें कर
कभी शाम में अकेले खुद से बुदबुदाते हुए
और कभी प्रेम गीत गाते हुए
डूब जाती हैं एक ऐसी दुनिया में
जहां सब प्रेम में डूबा उसका
अपना संसार है
जानते हो –
तुमसे प्रेम करने की यात्रा में
माँ के कूट वचन को बेमानी समझ
झटक आयी थी उसी के द्वार
पर आज सच में गुलाब के उस कांटे ने
डसा है पहली बार
सोच रही हूं उठा लाऊँ वो पोटली
और बीन लूँ सारे कूट
अपनी बची यात्रा को नया कर जीने और
अपनी जवान होती बेटी के अन्दर
विचार बन उतरने के लिये
..................................अलका
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ......भ्रम से निकलने और उलझने की .....
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत और सीख लेने योग्य है यह कविता.....''इसलिए उतरने को बेताब हूं तुममें विचार बन के।''
ReplyDeleteहाँ अब यही करना होगा ………………
ReplyDeleteati sundar
ReplyDeleteBAHUT HI SUNDAR BHAV POORN RACHANA ...BADHAI.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
sundar aur man me utar jaane wali rachna
ReplyDeleteसरल शब्दों में गहरी भावाव्नाओं की अभिव्यक्ति है.
ReplyDeletebeautifully expressed..यूँ रह-रह कर बाते निकलती हे,
ReplyDeleteजिंदगी एक पल तो नहीं.. कि जी जाए
nice
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