Sunday, February 24, 2013

अपनी भतीजी पाखी के नाम

(अपनी भतीजी पाखी के नाम )

मत रम मेरी बच्ची मत रम
फैशन की
इस अन्धेरी दुनिया में
मत रम
ये तुझे दफ्न कर देंगे
जिन्दा
उस कब्रगाह में जो इसी रास्ते
जाता है

मैं तुझे कलम देती हूं
और कुछ किताबें
जो तुझे अवसर देंगे
नये सूरज में
नये तरीके से संवरने के


ले ये हथियार और लिख
नयी इबारतें
पुरानी कब्रगाह में दबी
कुछ जिन्दगियों के नाम
और बदल डाल सारे नक्शे
अपनी जिन्दगी के

...........................अलका


5 comments:

  1. प्रेरणादायक रचना | उम्मीद है के आपकी इस रचना से आपकी भतीजी प्रेरणा लेंगी और आपने आने वाले जीवन के लिए दोबारा सोचेंगी | बधाई

    यहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
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  2. आज की ब्लॉग बुलेटिन ये कि मैं झूठ बोल्यां मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. आपकी सोच बहुत अच्छी है... मगर ज़बरदस्ती किसी के हाथ में हम कलम नहीं थमा सकते ना..! कोई भी अच्छी सकारात्मक रूचि का कार्य किया जा सकता है, जो उसे बहुत पसंद हो...!:-) और क्यों ना करे वो फैशन? ज़रूर करे ! मगर हाँ! उतना ही... जितना उचित हो, मर्यादा के भीतर हो ! फैशन के नाम पर ऊल-जलूल चीज़ें धारण करना नासमझी है !
    आशा है, आप मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगी.... :-)
    ~सादर!!!

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  4. अनीता जी आपने मेरी रचना पर अपनी प्रतिक्रिया दी यह मेरे लिये एक सुखद अह्सास है. आपने जो बातें कहीं उससे सहमत हूं मैं. मैं आपकी किसी बात से इंकार नहीं करती............. मेरी भतीजी मात्र 5 साल की है अभी .........उसकी रुचि से मुझे ऐतराज नहीं किंतु उसे एक सही दिशा मिले इसे लेकर मैने अपने भाव रखे थे ......................और मैने शब्द इस्तेमाल किया है अन्धेरी दुनिया ...इसका मत;लब ही यही है कि मैं इस दुनिया में तुम्को गुम हुए नहीं देखना चाहती ................क्यों ? इस्पर खूब बात की जा सकती है

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  5. बहुत बहुत शुक्रिया मेरी इस कव्ता को अपने ब्लाग पर चर्चा के लिये लगाने पर ........उमीद है आप मेरे ब्लाग पर हमेशा आते रहेंगे

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