औरतों के हिस्से का सूरज
उगा नहीं है अभी
कब उगेगा
ये पता भी नहीं
कुछ काले बादलों ने उसे
छेक रखा है
जारी है जंग इन बादलों से
औरतों ने उधार ली है
कुछ रौशनी पडोस से
पर उस पर भी कानून
और धर्म के पहरे हैं
पर्दा बनाया गया है ढकने को
पर वो लड रही हैं
अनवरत
अन्धेरों से
अपना सूरज उगाने के लिये
औरतों ने उधार की
इस रौशनी से
छांट डाले हैं
आधे से अधिक बादल
दूर से कोई देख रहा है
औरतों की इस जंग को
कुछ शैतानी आत्मा
काबिज़ होना चाहती है
सूरज के इस रथ पर
कि उनके हिस्से का सूरज
उगने से पहले अस्त हो जाये
पर उगेगा
चमकेगा और दमकेगा भी
औरतों के हिस्से का सूरज
इसी के उम्मीद में हैं
दुनिया भर की औरतें
.........................................अल्का
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
ईस्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करे ,पर सूरज पर सभी का सामान अधिकार है सूरज की रोशनी में सभी का बराबर हक़ है ,अधिकार माँगने से नहीं लेने से मिलता है उस दिशा में एकाकी प्रयास सफल नहीं हो सकता सभी का सहयोग आवश्यक है ,
ReplyDeleteभावनात्मक कविताई ,सामायिक चिंतन ,अतिउत्तम विचार , शुभकामनाये .....