Sunday, January 27, 2013

लडकी का बडा होना

लडकी का बडा होना बडे - बडे सपने देखना फिर उन सपनो पर चल पडना कितना मुश्किल होता है यह किसी लडकी से पूछ्कर देखो हर रोज उसका घर से निकलना निकल कर डग भरना मुकाम तक ठीक –ठाक पहुंच जाना कितना कठिन होता है यह किसी लडकी से पूछ्कर देखो लडकी का अपने इरादों पर टिका रहना अपने विचारों और आप पर बने रहना कितनो को हज़म होता है यह किसी लडकी से पूछ्कर देखो जब से वो बडी हो गयी मां सख्त दरबान हो गयी आंखों में जब सपने तिरे कई चाबुक तेज़ हो गयी इन स्थितियों से रोज संघर्ष क्या होता है यह किसी लडकी से पूछ कर देखो घर, गृहस्थी , पति, बच्चे परम्परा , हुक्म बस यहीं तक है/होगी दुनिया इन दायरों में रहना कैसा होता है यह किसी लडकी से पूछ्कर देखो लडकियां धन नहीं होती ना ही परायी होती हैं इरादे क्या हैं उनसे कभी पूछकर तो देखो ............................................................ अलका

4 comments:

  1. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि को आज दिनांक 28-01-2013 को चर्चामंच-1138 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  2. एक दम सही विचार | बिलकुल सत्य |

    Tamasha-E-Zindagi
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  3. सच्ची.....कभी कोई तो पूछ के देखे...
    कोई देखे तो कि लड़कियों के पास भी है एक सतरंगा आसमान....उड़ने तो कोई उसे....

    बहुत अच्छी पोस्ट अलका जी.

    अनु

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  4. उन्मुक्त गगन में उड़ना जितना आसान लगता उतना है नहीं,कल्पना और हकीकत में बहुत अंतर होता है ,इरादों को मूर्त रूप देने जिस श्रम और लगन की जरुरत होती है ओ उधार नहीं मिलती उसके लिए स्वयं प्रयास करना पड़ता ,
    मन की पीड़ा को स्वर देती विमर्श के लिए उद्धत करती सशक्त रचना ,शुभकामनाये

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