tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post8757418567238922950..comments2023-10-20T05:11:52.415-07:00Comments on हसरतें: कवि नरेश सक्सेना की कुछ पंक्तियां और मेरी कलम की गुस्ताखी Dr. Alka Singhhttp://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-711231112307652102013-02-23T05:05:27.639-08:002013-02-23T05:05:27.639-08:00मुझे यह कविता स्त्री के द्वारा पुरुष की नीयत की पह...मुझे यह कविता स्त्री के द्वारा पुरुष की नीयत की पहचान की कविता लगती है कि वह उन्हें ताड़ गई है, उन्हें पहचान गई हैं कि वे ऐसी ही घटिया सोच वाले होते हैं।<br /><br /> यह स्त्री द्वारा पुरुष मन के विश्लेषण की कविता है, न कि पुरुष द्वारा स्त्री-मन की। रचनाकार का 'जेण्डर' भूल कर कविता को कविता की तरह पाठकेन्द्रित दृष्टि से देखना होगा। Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-850252805482323072013-02-23T04:38:04.472-08:002013-02-23T04:38:04.472-08:00कवि की अपनी समझ अनुभव व बेबाकी दिख रही हैं, पर अकव...कवि की अपनी समझ अनुभव व बेबाकी दिख रही हैं, पर अकविता औरअसमाजिक नहीं कहा जा सकता सतीश कुमार चौहानhttps://www.blogger.com/profile/00624509331785485261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-82759883865543936142013-02-22T19:55:27.731-08:002013-02-22T19:55:27.731-08:00नरेश जी की कविता आज के सन्दर्भ में प्रासंगिक नहीं ...नरेश जी की कविता आज के सन्दर्भ में प्रासंगिक नहीं है ,पहले कभी ऐसा रहा है कि बच्चे पैदा करना ही एक स्त्री का धार्मिक कर्तव्य होता था ! अब तो राजोमुक्ति को एक रहत ही समझा जाता है ! आपकी टिप्पणी से सहमत हूँ अलका जी !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-18297099386676528562013-02-22T06:03:15.825-08:002013-02-22T06:03:15.825-08:00अलका जी, आपका विश्लेषण बहुत सारे कन्फ्यजन पैदा क...अलका जी, आपका विश्लेषण बहुत सारे कन्फ्यजन पैदा करने वाला है। एक ओर आप इस कविता के सकारात्मक पहलुओं की बात करती हैं, वहीं स्त्री विमर्श के अन्य सवालों के बहाने एक ऐसे कवि को मर्दवादी साबित करने का प्रयास कर रही हैं, जिन्होंने आपके और मेरे जन्म से पहले एक ऐसी स्त्री से विवाह किया था, जिसकी आज के समाज में भी कोई हिम्मत नहीं कर सकता... पेशे से इंजीनियर और प्रगाढ़ वैज्ञानिक चेतना के कवि हैं नरेश सक्सेना... आप इस कविता के उस पक्ष को नहीं देख रही हैं, जो कवि का अभिप्रेत है... तसलीमा नसरीन ने कहीं लिखा है कि 60 वर्ष की आयु में पुरुषों में कुछ पौरुष हार्मोन्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से वे समझने लगते हैं कि उनकी जवानी लौट रही है। इसी समय उनकी स्त्रियां मीनोपाज के निकट पहुंच रही होती हैं... और ठीक इसी समय बहुत से पुरुष कम उम्र की लड़कियों से विवाह कर लेते हैं। ... इस आलोक में आप बंजर ज़मीन वाले बिंब को देखेंगे तो बहुत सी चीजें साफ हो जाएंगी। ... कविता में हमेशा बहुत कुछ अनकहा होता है, वह सुधी पाठक तक पहुंच जाता है... हथियार लेकर जाने से कविता कभी नहीं खुलती, उसके लिए कुछ अतिरिक्त भी चाहिये होता है, जो गैर ज़रूरी विश्लेषणों में नहीं होता। ... आपका लेख बहुत अच्छा है, लेकिन वह कविता नहीं है...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-84437947811941593282013-02-22T05:58:18.557-08:002013-02-22T05:58:18.557-08:00अलका जी आपने व्याख्या अच्छी की है वैसे मैने एक धर्...अलका जी आपने व्याख्या अच्छी की है वैसे मैने एक धर्म ग्रंथ की तहरीर पढी है जिसमे यह लिखा है कि औरते पुरूषॊ की ख्रेतियां है कवि नरेश की पंक्तियां यहां उसी पक्ष को उजागर करती है और शायद चोट भी करती है जो आज भी कोई खास नही बदला पाया है । बहरहाल आपके व्याख्या से यह और भी स्पष्ट हो गया है यह सब पुरूषो द्वारा लिखित है आसमान से नही टपका है इस नजरिये मे बदलाव की अपेक्षा है । शुक्रिया सह आभार Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-61234869911613820692013-02-22T05:56:56.853-08:002013-02-22T05:56:56.853-08:00अलका जी आपने व्याख्या अच्छी की है वैसे मैने एक धर्...अलका जी आपने व्याख्या अच्छी की है वैसे मैने एक धर्म ग्रंथ की तहरीर पढी है जिसमे यह लिखा है कि औरते पुरूषॊ की ख्रेतियां है कवि नरेश की पंक्तियां यहां उसी पक्ष को उजागर करती है और शायद चोट भी करती है जो आज भी कोई खास नही बदला पाया है । बहरहाल आपके व्याख्या से यह और भी स्पष्ट हो गया है यह सब पुरूषो द्वारा लिखित है आसमान से नही टपका है इस नजरिये मे बदलाव की अपेक्षा है । शुक्रिया सह आभार Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-87520378757433625522013-02-22T00:37:59.507-08:002013-02-22T00:37:59.507-08:00बहुत सही विवेचना सहमत हूँ आपसे की इक स्त्री मिनोपो...बहुत सही विवेचना सहमत हूँ आपसे की इक स्त्री मिनोपोज़ तक जाते जाते सभी वर्जनाओं से मुक्ति पा लेती है और इसे समझने के लिए इक पुरुष को स्त्री होना होगा ................Kiran Aryahttps://www.blogger.com/profile/13612424162022535855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-39919313644776297152013-02-22T00:02:20.164-08:002013-02-22T00:02:20.164-08:00बहुत अच्छी और सटीक व्याख्या ,इसमें गुस्ताखी कहाँ ह...बहुत अच्छी और सटीक व्याख्या ,इसमें गुस्ताखी कहाँ है ...हो सकता है लेखक का अपना नजरिया रहा हो ....लेकिन मेरे विचार से अगर कोई पुरुष , स्त्री पर लिखता है तो वह अपने विचार थोप कर ही लिखता है nayee duniahttps://www.blogger.com/profile/12166123843123960109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-47927539556772199062013-02-21T21:45:25.023-08:002013-02-21T21:45:25.023-08:00apki kalam ne gushtakhi nahi ki hai .... kadwa sac...apki kalam ne gushtakhi nahi ki hai .... kadwa sach bayaan kiya hai .... kavita par sateek tippani di hai apne ... badhai !! shobha mishrahttps://www.blogger.com/profile/17523944890996754964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-91946453539506450932013-02-21T21:35:41.532-08:002013-02-21T21:35:41.532-08:00Alakaa,, strityoka sach bhi ourush batayeGe aur st...Alakaa,, strityoka sach bhi ourush batayeGe aur striyaa bhi sach maane..kalihttps://www.blogger.com/profile/15094274510919394522noreply@blogger.com