tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post6655405322163238046..comments2023-10-20T05:11:52.415-07:00Comments on हसरतें: स्त्री और कविताDr. Alka Singhhttp://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-65627997495551482562013-01-28T05:41:08.622-08:002013-01-28T05:41:08.622-08:00विचारिणीय पोस्ट आभार.... विचारिणीय पोस्ट आभार.... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-20484669316632093932013-01-27T19:28:55.729-08:002013-01-27T19:28:55.729-08:00आज 28/01/2013 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की...<i><b> आज 28/01/2013 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे )<a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर </a> पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद! </b></i>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-52170362711332353182011-12-13T17:29:48.238-08:002011-12-13T17:29:48.238-08:00बहुत बढ़िया!बहुत बढ़िया!siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-374298278481195052011-12-11T23:41:51.347-08:002011-12-11T23:41:51.347-08:00अलका दी बहुत सटीकता से भरा विशलेषण है बहुत कुछ सोच...अलका दी बहुत सटीकता से भरा विशलेषण है बहुत कुछ सोचने और अपने नजरिये को पुन:-पुन:देखने परखने को विवश करता आलेख आभार आपका ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-73903141900448532562011-12-11T17:44:18.611-08:002011-12-11T17:44:18.611-08:00जो तमाम हीन,तामसिक और भय से मारी स्त्री रचते रहे ,...जो तमाम हीन,तामसिक और भय से मारी स्त्री रचते रहे , मात्र यह सब प्रक्षेपित करते रहे, जिनका जिक्र अलका ने बड़े सूक्ष्म ढंग से किया है ,असल वे स्वयम अपनी हीन भावना जनित ग्रंथि के सारे कचरे स्त्री पर उछालते रहे अपनी ग्रन्थियों से पीड़ित अपने पौरुष के प्रति अनाश्वस्त थे ..जो पुरुष स्त्री के प्रति मानवीय आस्था नही रख पाते वह स्वयम ही अपूर्ण होते हैं ..बहुत अच्छे अलका सतत रहो शुभकामनाएँ..Vandana Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16280957639212248298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-69820084324970772872011-12-11T11:58:56.442-08:002011-12-11T11:58:56.442-08:00स्त्री सन्दर्भ्मे ये विमर्ष व आलोचना सोच्मे जरूर ड...स्त्री सन्दर्भ्मे ये विमर्ष व आलोचना सोच्मे जरूर डाल देती है.मै मानती हु की स्त्रीके मन के भाव विश्व को पुरुश कवियोने अप्ने नझरियेसे हि रखा है.. जिस वजहसे ो स्त्री ो जाने अन्जाने वैसे ही भाव विश्वको अपना सम्झने लगी हो.<br />किन्तु मै ये नही समज पायी की आखिर पुरुष कवियोंसे क्या अपेक्शा है? व क्युं?<br />कम से कम अब उन्हे छोड ही देते हैं जब स्त्री रचनाकार अपने भाव विश्वको अपने नझरियेसे चित्रित कर सकति है.स्त्रिकि प्रतिभा केवल कविता हि से नही पर अनेकों मध्यमोसे झलकति है..kalihttps://www.blogger.com/profile/15094274510919394522noreply@blogger.com