tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post3983193006827802056..comments2023-10-20T05:11:52.415-07:00Comments on हसरतें: लावारिसों की दुनियाDr. Alka Singhhttp://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-51065506166709517902012-01-13T05:31:04.728-08:002012-01-13T05:31:04.728-08:00बिक्लुल झुंझला देने वाला लेख .......शरीर के रोंये ...बिक्लुल झुंझला देने वाला लेख .......शरीर के रोंये खड़े हो गए पढ़ते पढ़ते ....<br />बढ़िया लिखा बधाई...<br /><br />मेरे ब्लॉग को पढने और जुड़ने के लिए<br />इस लिंक पे आने का निमंत्रण स्वीकार करें......<br />http://dilkikashmakash.blogspot.com/कौशल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/14147695410702733267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-46532137614049811142012-01-11T20:47:37.777-08:002012-01-11T20:47:37.777-08:00अलकाजी,लावारिसो कि दुनिया पर आपने उनके दर्द. पीडा ...अलकाजी,लावारिसो कि दुनिया पर आपने उनके दर्द. पीडा ,की ओर एक संवेद्ना ,और सरकार की उदासीनता पर अपनी संवेदनाओ को एक सुन्दर और प्रश्नचिन्ह लगाते हुए अच्छी अभिव्यक्ति की है ,इसके लिये आभार ।पन्तजी कि पंक्तिया मुझे याद आ रही है।<br />" कोटि कोटि संतान नग्न तन ,<br />अर्ध-क्षुधित,शोषित,निरस्त्र जन ,<br />मूढ असभ्य अशिक्षित निर्धन ,<br /><br />नत मस्तक तरुतल निवासिनी,<br />मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी ,<br />वह अपने घर मे प्रवासिनी ,<br />भारत माता ग्रामवासिनी । "Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.com