tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post2921541925845744335..comments2023-10-20T05:11:52.415-07:00Comments on हसरतें: बोधिसत्व की शांता , मेरी टिप्पणी और एक उवाचDr. Alka Singhhttp://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-91987924825110702142014-02-12T20:51:35.203-08:002014-02-12T20:51:35.203-08:00AAPKE sare sandeh dur kar sakta hun..sanatan ki ra...AAPKE sare sandeh dur kar sakta hun..sanatan ki rachna mere haathon se hui hai... haan utttar sahulk hoga...shulk apki ikshanusar hoga...<br />ispe mail karna <br />gyanyog@yahoo.com<br />ya is id se judna <br />https://www.facebook.com/sanatanqueries.paidteachingब्रह्मऋषि अष्टुhttps://www.blogger.com/profile/17329106312662861341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-27932319216128828002011-12-19T23:03:08.074-08:002011-12-19T23:03:08.074-08:00मीठेश जी आपका बहुत आभार और मैं इस बात से बेहद खुश ...मीठेश जी आपका बहुत आभार और मैं इस बात से बेहद खुश हूँ की आpने मेरी बात धयन से पढी और सुनी और उसपर अपनी प्रतिक्रया दीDr. Alka Singhhttps://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-15241440128492611332011-12-18T09:45:53.156-08:002011-12-18T09:45:53.156-08:00चलो कुटज अनल जी द्वारा की गयी आलोचना से ही आपका पी...चलो कुटज अनल जी द्वारा की गयी आलोचना से ही आपका पीछा छूट गया , इस्लाम या क्रिस्तिअनिटी के धार्मिक प्रतीकों के बारे में ऐसा लिखा होता तो क्या -क्या हो सकता था! वैसे शांता/काल पुनः निर्धारण आदि नए फिडके रोमांचक हैं , don-2, Dhoom-2 , Golmal-2की तरह.पर किसी शोध आदि कि ग़लतफ़हमी ना पैदा की जाये , कल्पना की उड़ान को कल्पना की उड़ान ही कहा जाये तो सब ठीक रहता है. जहाँ तक प्रमाणिकता का प्रश्न है, तो भूतकाल तो छोडो वर्तमान काल का विवरण भी प्रमाणिकता से लिखने का दावा कोई माई का लाल कर सकता है क्या? फिर क्या जुगाली के झागों का महत्व .......Ajay Churuhttps://www.blogger.com/profile/06343990594593562024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-86702443588996897582011-12-15T22:02:17.499-08:002011-12-15T22:02:17.499-08:00बधाई अलका जी, अच्छा आलेख लिखा है आपने। लेकिन शैले...बधाई अलका जी, अच्छा आलेख लिखा है आपने। लेकिन शैलेन्द्र सिंह जी की बातों पर ध्यान दें जरा। महाभारत का काल रामायण से पहले कैसे मान रही हैं आप। सभी टिप्पणियों पर जवाब दिया है आपने, लेकिन उनके सवाल पर खामोश हैं।देवेन्द्र कुमार देवेशhttps://www.blogger.com/profile/05565767124070496093noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-70054293385990547952011-12-15T21:32:03.797-08:002011-12-15T21:32:03.797-08:00Very good article. I think I should read other art...Very good article. I think I should read other articles also. Let me read them and then l will get back to you. Reg, ShaheenEducationhttps://www.blogger.com/profile/16861368945032492442noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-92159477953301653642011-12-15T06:29:16.839-08:002011-12-15T06:29:16.839-08:00वाह!..पौराणिक आख्यानों पर आधारित इस शोधपरक
ATIHAS...वाह!..पौराणिक आख्यानों पर आधारित इस शोधपरक<br /> ATIHASIK आलेख में आपने वैज्ञानिक दृष्टी से बहुत ही<br /> ही सुन्दर तार्किक विश्लेषण प्रस्तुत किया है .<br />..कुटुज अनल द्वारा की गयी आलोचना स्वतः ही<br />अमर्यादित एवं बेमानी सिद्ध हो गयी है. ... आपके<br />इतिहासज्ञ एवं कवि- समीक्षक मन को बहुत-बहुत बधाई .<br /><br />-मीठेश निर्मोही,जोघपुर .AAGOONCHhttps://www.blogger.com/profile/07072411768221736525noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-8626039512429959152011-12-15T05:24:01.148-08:002011-12-15T05:24:01.148-08:00एक विश्लेषात्मक लेखन ..
अच्छा लगा एतिहासिक तथ्यों...एक विश्लेषात्मक लेखन .. <br />अच्छा लगा एतिहासिक तथ्यों को जानना..गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-91863457213155231432011-12-15T04:00:44.921-08:002011-12-15T04:00:44.921-08:00आप सभी को सूचित हो कि श्रीमान कुटज अनल को मैंने अप...आप सभी को सूचित हो कि श्रीमान कुटज अनल को मैंने अपनी मित्र सूची सी बाहर कर दिया है चूँकि उन्होंने यह अभद्रता मेरी वाल पर की अत: यह मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनी जिसे मैंने पूर्ण किया ..को स्नेह और मंगल कामनाएं !Vandana Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16280957639212248298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-84745810203181220372011-12-15T03:38:21.688-08:002011-12-15T03:38:21.688-08:00कविता जी इस बात का इल्म मुझे भी नहीं मैं देखती हूँ...कविता जी इस बात का इल्म मुझे भी नहीं मैं देखती हूँ अभीDr. Alka Singhhttps://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-79428965531174902172011-12-15T02:26:41.464-08:002011-12-15T02:26:41.464-08:00यहाँ कल प्रातः हेमा के पश्चात् तीसरी टिप्पणी मेरी ...यहाँ कल प्रातः हेमा के पश्चात् तीसरी टिप्पणी मेरी थी, कहाँ गायब हो गई ? कहीं स्पैम फिल्टर में तो नहीं चली गई ? उसी को फिर फेसबुक पर प्रत्यांतरित किया था।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-69586211854603725032011-12-15T00:19:40.439-08:002011-12-15T00:19:40.439-08:00यह एक आम समस्या है कि हम अपनी कथित आस्था और तर्क...यह एक आम समस्या है कि हम अपनी कथित आस्था और तर्क को अक्सर गडमड कर देते हैं। पुराण, महाकाव्य और इतिहास को इस कदर मिला देते हैं कि उनमें से कुछ भी विश्वसनीय नहीं रहता। इतिहास तथ्यों पर आधारित होता है, पुराण मान्यता और आस्था पर तथा काव्य कल्पना और तथ्य को मिलाकर अंतत: संवेदना पर टिका हुआ। इनका घालमेल भ्रम पैदा करने वाला होता है। जिन भी सज्जन ने इस प्रकार की टिप्पणी आप पर की है उनसे केवल इतना कहना है कि किसी भी मित्र पर टिप्पणी करने से पहले भाषा का सयंम जरुर बरतें, ऐसा न हो कि तर्क के अभाव की कुंठा उसमें आ जाए और अगर मित्र महिला हों तो अतिरिक्त सयंम की जरुरत है। एक तरफ आप भारतीय संस्कृति के नाम पर आस्था को ठेस पहुंचने की तिलमिलाहट महसूस करते हैं दूसरी ओर संस्कृति में पूर्ण सम्माननीय स्त्री के प्रति अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, यह हर प्रकार से निंदनीय है। तर्क अपनी जगह, असहमति अपनी जगह और सम्मान व बात की मर्यादा अपनी जगह...। डॉ अलका सिंह जी आपने तर्क को अपने व्यवस्थित रुप में रखा है और एक इतिहासज्ञ की नजर से अपने संदेह व सवाल उठाए हैं...इसमें कहीं कुछ गलत नहीं। यदि किसी मित्र को इनका जवाब देना हो तो तर्क से दें, गालियों से नहीं...mayamrighttps://www.blogger.com/profile/10969973903125554382noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-79517557852919548242011-12-14T21:29:26.702-08:002011-12-14T21:29:26.702-08:00अश्व घोष और नवनीत पाण्डेय आभारी हूँ कि आपने लेख प...अश्व घोष और नवनीत पाण्डेय आभारी हूँ कि आपने लेख पढ़ाDr. Alka Singhhttps://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-45467679931599087612011-12-14T21:24:24.859-08:002011-12-14T21:24:24.859-08:00मोहन जी और नन्द जी आप दोनों ने मेरे लेख को पढ़ा औ...मोहन जी और नन्द जी आप दोनों ने मेरे लेख को पढ़ा और बधाई दी वह मुझे स्वीकार है चाहूंगी कि आप मेरे ब्लॉग पर हमेशा आते रहेंDr. Alka Singhhttps://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-80051086162643649492011-12-14T21:21:44.446-08:002011-12-14T21:21:44.446-08:00राज कुमार झा जी बहुत शुक्रगुजार हूँ जो आपने ये लेख...राज कुमार झा जी बहुत शुक्रगुजार हूँ जो आपने ये लेख पढ़ा और अपनी राय दी. मैंने अभी सिर्फ संभावना व्यक्त की है और अपनी बात काही है . रहा सवाल इसके लिए तैयार रहने क़ा कि जिनकी भावना को ठेस पहुंचेगी वह हमें बुरा भला कहेंगे तो उसके लिए तैयार होकर ही मैंने अपनी बात सबके सामने राखी है. सिर्फ ४ घंटे के बीच मुझे बहुत से आलोचना भरे और तीखे कमेन्ट मिले हैं मैं उनका भी जल्द ही जवाब दूंगी. आपका बहुत बहुत आभार राजकुमार झा जीDr. Alka Singhhttps://www.blogger.com/profile/04764806969123253333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-74407759327970777612011-12-14T19:18:07.458-08:002011-12-14T19:18:07.458-08:00वैग्यानिकता और विश्वास साथ नहीं चल सकते. हमारा शोध...वैग्यानिकता और विश्वास साथ नहीं चल सकते. हमारा शोध वस्तुपरक होना चाहिये, परन्तु जिनकी भावना को ठेस पहुंचेगी, वे हमारी आलोचना करेंगे ही. हमें इसके लिये तैयार रहना चाहिये.Raj Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/05784707652450960440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-14118828118618197412011-12-14T08:45:16.964-08:002011-12-14T08:45:16.964-08:00daad deta hun aap ki mehanat, taarkikta aur khoj p...daad deta hun aap ki mehanat, taarkikta aur khoj parak drishti ki . aap ko kisi ne moorkh kaha,shayad un ki yogyta ki paribhashayen itar hongi ......badhaaiashvaghoshhttps://www.blogger.com/profile/04330878210210044156noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-58201258692991246092011-12-14T08:23:13.274-08:002011-12-14T08:23:13.274-08:00बहुत ही खोजपरक और तार्किक विश्लेषण है अलका जी! हम ...बहुत ही खोजपरक और तार्किक विश्लेषण है अलका जी! हम आभारी और लाभान्वित हुए इस अद्भुत ऎतिहासिक जानकारी से कुटज अनल के मूर्खतापूर्ण कटाक्ष पर न जाएं। क्योंकि जो जानकारी आपने अपने स्पष्टिकरण में दी है शायद ९५ प्रतिशत भारतीयों को भी यह सच मालूम नहीं होगा..नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-25617290720136002162011-12-14T05:55:32.030-08:002011-12-14T05:55:32.030-08:00alka ji! aap history ki samanya vikaswadi sidhant ...alka ji! aap history ki samanya vikaswadi sidhant ki bat manti hain.<br />1.RAMAYAN kahi bhi krishn ki charcha nahi karti kyo?jabki mahabharat ram hi nahi unke pariwar ki bhi katha kahti hai?ye itihaskaron ka shadyantra hi hai....kiwo ramayan ki samridh ko mahabharat se pahle nahi man pate.hum apne samsakrati par vishvas hi nahi kar pate?<br />2.mai niyog ki bat manta hu....khir khane se bachche nahi hote....fir bhi ek prashn to hai hi ki jab dashrath ke putri ho sakti thi to putra kyo nahi? dashrath ke samne putra na hone ki samsya hai.nishsantanta ki nahi...aaj bhi haryana me log aisi dawa dete hain ki shartiya ladka hi hoga....kahi koi aisi hi to bat nhi thi....sochna.<br />3.khir koee dawa to nahi thi?<br />4.aap murkh nahi hain kintu apni bate siddh karne ke liye doosro ki bate bhi sune...RAMAYAN SE PAHLE MAHABHARAT WALI BAT KARNE WALE SARE ITIHASKAR MARKSWADI HAIN...JO MUJHE LAGTA HAI KI BHARTIYTA KI JAD KHODNE PAR LAGE HAIN...EK TUSHTIKARAN AAP KO NAHI LAGTA UNKE ITIHAS LEKHAN ME? <br />MAI KUCHH JYADA BOL GAYA HOUU TO KSHAMA KAR DENA.SHAILENDRA SINGHhttps://www.blogger.com/profile/17886684265950355645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-33298339387451370852011-12-14T05:41:00.422-08:002011-12-14T05:41:00.422-08:00अलकाजी, आपने हमारे पौराणिक आख्यानों में वर्णित निय...अलकाजी, आपने हमारे पौराणिक आख्यानों में वर्णित नियोग प्रथा से संतानोत्पत्ति में ली जाने वाली मान्य व्यवस्था का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत तार्किक और वस्तुपरक विवेचन प्रस्तुत किया है,इसे अगर कुटज अनल ने मूर्खतापूर्ण कहा है, तो यह उनकी विवेक-बुद्धि की सीमा है, आप आश्वस्त रहिये, आपने वाकई बहुत विवेक-सम्मत विवरण प्रस्तुत किया है, मैं तो आपकी शालीनता और तर्क शक्ति का कायल हूं।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-4354136453054081902011-12-14T05:14:23.144-08:002011-12-14T05:14:23.144-08:00कविता और इतिहास 2 अलग चीजें होती हैं।
गड़बड़ इतिह...कविता और इतिहास 2 अलग चीजें होती हैं।<br /><br />गड़बड़ इतिहास और किंवदंती को जोड़ने के कारण भी हुई है। <br />किंवदंतियों पर कविता लिखी जा सकती हैं।<br /><br /> शांता ऐतिहासिक पात्र नहीं है, केवल लोक कथा है। क्योंकि प्रामाणिक केवल वाल्मीकि रामायण है उसमें कोई शांता नहीं है। <br /><br />नियोग शास्त्र विहित सर्वमान्य स्वीकार्य था ।<br /><br />रामायण का काल महाभारत से बहुत पूर्व है। महाभारत को हुए लगाबहग साढ़े पाँच हजार वर्ष हुए हैं और रामायण का काल लगभग छह लाख वर्ष पूर्व है। अंग्रेजों द्वारा पढ़ाए लिखे गए इतिहास( जो ईसा व बाईबाल के कारण सब कुछ पाँच हजार वर्षों में समेटता है)के कारण तथा और भी कई कारणों से भारतीय इतिहास के नाम पर जाने क्या तथ्य प्रचलित हैं।<br /><br />नियोग चरित्रहीनता या काम का वाचक नहीं है। "सत्यार्थ प्रकाश" उठाकर खुले मन से पढ़ने वाले लोगों को जरूरत है। लोग इसलिए तिलमिला जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पूज्य पूर्वजों का अपमान हो गया नियोग की बात जुडने से। यह अत्यंत ऋषिमान्य, संस्कारमान्य, आदर्शमान्य, शास्त्रमान्य प्रावधान है। महाभारत कुल में भी यही हुआ था। ऋषि व्यास से नियोग के द्वारा विदुर, पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म हुआ था। <br /><br />पुत्रेष्टि यज्ञ में यज्ञ शब्द है। और यज्ञ का रूढ़ अर्थ लोग अग्निहोत्र मात्र ही लेते हैं। उन्हें निघंटु पढ़ना चाहिए और वैदिक दर्शन का गहन सात्विक अध्ययन करना चाहिए।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-80661225075682447802011-12-14T04:56:02.082-08:002011-12-14T04:56:02.082-08:00्काफ़ी शोधपरक आलेख।्काफ़ी शोधपरक आलेख।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-45853302718915248542011-12-14T04:28:02.944-08:002011-12-14T04:28:02.944-08:00बहुत-बहुत उम्दा सटीक और तथ्य आधारित विशलेषण ...अलक...बहुत-बहुत उम्दा सटीक और तथ्य आधारित विशलेषण ...अलका दी ऐसी खीर के कम्पोजिशन पर सवाल उठाना तो जायज बनता है और उठने ही चाहिए ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2655484424015460707.post-38482183684691664652011-12-14T04:11:10.418-08:002011-12-14T04:11:10.418-08:00काफ़ी मेहनत की है तथ्य जुटाने में. रोचक कथा शैली म...काफ़ी मेहनत की है तथ्य जुटाने में. रोचक कथा शैली में बयान भी किया है इसे. बधाई.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com